कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को अपने वश में कर रखा है और पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है ऐसे में यदि कोई उम्मीद की किरण है तो वो सिर्फ डॉक्टर्स हैं।सिर्फ डॉक्टर्स ही हैं जिनकी वजह से इस वैश्विक महामारी में भी इंसानियत जिंदा हैं।यदि आज लाखों करोड़ों लोगों की जान बच पाई है तो उसमें डॉक्टर्स का एहम योगदान है।वैसे तो इस वैश्विक महामारी में हर दिन डॉक्टर्स के प्रति सम्मान व्यक्त करने का है व उन्हें धन्यवाद करने का है लेकिन दशकों से हम लोग डॉक्टर्स के प्रति सम्मान व आदर प्रकट करने के लिए भारत में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाते हैं।
क्या है राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस का इतिहास?
अलग अलग देशों में अलग अलग दिन राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है।आपको बता दें की भारत में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस है वर्ष 1 जुलाई को मनाया जाता है।इस दिन को भारत के महान चिकित्सक व बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ बी सी रॉय(Dr. BC Roy) के सम्मान में व मानवता की सेवा में उनके योगदान को याद करने के लिए मनाया जाता है।
आपको बता दें कि डॉ बी सी रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को हुआ था और इसी तारीख को 1962 में उनकी मृत्यु हुई थी।पहली बार राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस 1 जुलाई 1991 को मनाया गया था और उसके बाद से प्रत्येक वर्ष इस दिन को 1 जुलाई को मनाया जाता है।
जानें इसका महत्व
डॉक्टर्स की समाज मे एक बहुत बड़ी व एहम भूमिका होती है।हम सभी को अपने जीवन में डॉक्टर्स की जरूरत होती ही है।हमारे जन्म से लेकर हमारी मृत्यु तक में डॉक्टर्स का एक महत्वपूर्ण किरदार होता है और ये दिन हमको यही याद दिलाता है कि डॉक्टर्स के बिना जीवन की कल्पना करना कठिन होगा।ये दिन हमे अपने डॉक्टर्स के प्रति सम्मान,प्रेम व अपनी भावनाओं को प्रकट करने की प्रेणना देता है।
मानव के लिए सबसे कीमती उसकी जान होती है और जान सिर्फ दो लोग ही बचा सकते हैं एक तो ईश्वर या तो डॉक्टर।इसलिए डॉक्टर्स को भगवान का रूप भी कहा जाता है और इस वैश्विक महामारी के समय मे ये बात एक बार फिर से सिद्ध हो जाती है क्योंकि यदि डॉक्टर्स नही होते तो न जाने हमने कितने गुना ज्यादा लोगों को खो दिया होता।हमारे डॉक्टर्स दिन रात हफ्ते में सातों दिन लगातार काम करके एक एक जान को बचा रहे हैं।
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