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MP Doctors Strike: 3 मई से हड़ताल पर रहेंगे प्रदेश के 15 हजार सरकारी डॉक्टर

MP Doctors Strike: 3 मई से हड़ताल पर रहेंगे प्रदेश के 15 हजार सरकारी डॉक्टर

एमपी के करीब 15 हजार सरकारी डॉक्टर 3 मई से हड़ताल पर रहेंगे। अपनी मांगों के समर्थन में डॉक्टर एक मई से ही विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार ने उनकी मांग से सहमति जताई, लेकिन आदेश जारी नहीं किया। सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ तीन मई से पूरी तरह काम बंद कर देंगे।

मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर मंगलवार से बुरा असर पड़ रहा है। इसका कारण यह है कि प्रदेश के करीब 15 हजार सरकारी डॉक्टर तीन मई से काम बंद कर देंगे। सरकारी डॉक्टर इमरजेंसी, शैक्षणिक, प्रशासनिक और मेडिको लीगल कार्यों से भी दूर रहेंगे। हड़ताल का ऐलान शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ की ओर से किया गया है। छह से अधिक मांगों को लेकर हड़ताल पर उतर रहे डॉक्टर संघ ने कहा है कि मध्य प्रदेश में कई वर्षों से विसंगतियां हैं, जिन्हें शासन ने दूर नहीं किया है। इसलिए अब उन्होंने हड़ताल का रुख किया है।

डॉक्टरों की सबसे प्रमुख मांग केंद्र की तर्ज पर डीएसीपी लागू करने की है। शासकीय/स्वशासी चिकित्सक महासंघ के बैनर तले पूरे प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर्स ने एक मई को भी बांह पर काली पट्टी बांधकर विरोध जाहिर किया था। इसके बाद मंगलवार यानी दो मई को डॉक्टरों ने 11 से एक बजे तक कोई काम नहीं किया। वे बुधवार से पूरी तरह हड़ताल पर चले जाएंगे।

सहमति बनी, लेकिन आदेश रोका

डॉक्टर्स संघ का कहना है कि 31 मार्च को सरकार के साथ बातचीत हुई थी। डीएसीपी योजना को लागू करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर दिनांक 17 फरवरी 2023 को उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई थी। चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की कई बैठकें हुईं। डीएसीपी को लेकर सभी ने सहमति भी जताई, लेकिन सरकार ने अभी तक आदेश जारी नहीं किया। डॉक्टर, सरकार की इसी वादाखिलाफी से नाराज हैं।

प्रदर्शन में कौन-कौन होंगे शामिल

डॉक्टर महासंघ के मुताबिक प्रदेशव्यापी विरोध-प्रदर्शन में राज्य के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, चिकित्सा महाविद्यालय के चिकित्सक, संविदा पर कार्यरत चिकित्सक और बॉन्डेड चिकित्सक शामिल होंगे।

इन मांगों को लेकर करेंगे प्रदर्शन

केंद्र सरकार, बिहार और अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश के चिकित्सकों के लिए डीएसीपी योजना का प्रावधान किया जाए।
चिकित्सकीय विभागों में तकनीकी विषयों पर प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप दूर किया जाए।

स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग और ईएसआई की वर्षों से लंबित विसंगतियां दूर की जाएं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत संविदा चिकित्सकों (एमबीबीएस) की एमपीपीएससी के माध्यम से की जाने वाली नियुक्ति/ चयन प्रक्रिया में प्रतिशत परिधि को समाप्त कर संशोधन किया जाए।
विभाग में कार्यरत समस्त बंधपत्र चिकित्सकों का वेतन समकक्ष संविदा चिकित्सकों के समान किया जाए
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के ग्रेजुएशन के बाद ग्रामीण सेवा बॉन्ड राशि को कम किया जाए और ट्यूशन फीस भी कम की जाए, क्योंकि मध्य प्रदेश में यह सबसे ज्यादा है

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