भारत को दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातक देश के रूप में देखा जाता है और यह सच भी है। तेल निर्यातक देशो की सूची मे भारत का नाम बहुत पीछे है। चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ताल आयातक देश है।भारत की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि भारत मे प्राकर्तिक तेल और गैस के भंडार बहुत कम है और जो हैं भी उनमें बहुत कम मात्रा में उपयोग करने हेतु तेल मौजूद है।
यही कारण है की भारत को न सिर्फ एक देश बल्कि कई देशों से तेल का आयात करने पड़ता है जो कि भारत को काफी महंगा भी पड़ता है।लेकिन अब भारत आयात के साथ साथ तेल का निर्यात भी करेगा और इसी कड़ी में भारत अब नेपाल के बाद म्यांमार(Myanmar) और बांग्लादेश(Bangladesh) को तेल निर्यात करेगा।
क्या है पूरा मामला?
जैसा कि हमने अपकों पहले बताया की भारत मे प्राकर्तिक तेल के भंडार बहुत कम हौ लेकिन भारत मे कुछ राज्य ऐसे है जहाँ पर तेल के कुछ प्राकर्तिक भंडार मौजूद है।भारत ने अपने इन तेल भंडारों से काफी समय से तेल निकल रहा है और इसके लिए भारत ने कई महत्वपूर्ण (Refinery) को भी स्थापित किया है।
तेल के दृष्टिकोड़ से असम भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि असम भारत के उन चुनिंदा राज्यों में से एक है जो कि सबसे ज्यादा कच्चा तेल निकालते है।असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने हाल ही में कहा कि असम अब कच्चे तेल का निर्यात बांग्लादेश और म्यांमार को करेगा।
असम की नुमालीगढ़ रिफाइनरी(Numaligarh Refinery) जो की भारत की सबसे बड़ी और पुरानी रिफाइनरियों में से एक है, उसकी छमता अब 3 मिलियन मीट्रिक टन(MMT) से लेके 9 मिलियन मीट्रिक टन(MMT) तक कर दी जाएगी।इसके साथ ही ओडिशा के पारादीप(Pradeep) से कच्चे तेल को पाइपलाइन के जरिये लाया जाएगा और नुमालीगढ़ रिफाइनरी(Numaligarh Refinery) में रिफाइन(Refine) किया जाएगा और बाद में यही तेल अन्य पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश(Bangladesh) और म्यांमार(Myanmar) को निर्यात किया जाएगा।
तेल निर्यातक देश कैसे बनेगा भारत ?
भारत के पास भले ही तेल के प्राकर्तिक भंडार कम हो लेकिन भारत अपने यहां बड़ी और हाईटेक रेफिनेरियों(High-tech Refinery) का ऐसा नेटवर्क(Network) बना रहा है की भारत अन्य देशों से कच्चा तेल मंगा के अपने यहां रिफाइन(Refine) करके उसे अपने पड़ोसी और छोटे देशों को निर्यात कर सकेगा और भारत का नाम भी तेल निर्यातक देशों की सूची में आ जायेगा।
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