भारत की विदेश नीति या यूं कहें कि डिप्लोमेसी की बात ही कुछ और है।शुरू से ही भारत की विदेश नीति दुनियाभर के आकर्षण का केंद्र रही है।सरकार कोई भी हो,विदेश मंत्री कोई भी हो भारत की विदेश नीति में सिर्फ सुधार ही हुआ है और इसका लोहा पूरी दुनिया ने माना है।भारत के रूस और अमेरिका से अच्छे संबंध हमारी बेहतरीन डिप्लोमेसी का ही नतीजा है वरना शायद ही कोई देश दुनिया में हो जिसके इतने अच्छे संबंध अमेरिका और रूस दोनों के साथ हो।अब अपनी बेहतरीन डिप्लोमेसी दिखाते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ईरान के नए राष्ट्रपति से मिलने पहुँचे हैं।
क्या है विदेश मंत्री एस जयशंकर की यात्रा के मायने?
ईरान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण देश है फ़ॉर चाहे तेल की बात हो या चाहे चाबहार बंदरगाह(Chabahar Port) की।अमरीका से ईरान की तना तनी के चलते ईरान पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिए थे जिसके बाद से मजबूरन भारत को ईरान का साथ छोड़ना पड़ा जिससे भारत और ईरान के रिश्तों में थोड़ी खटास आयी थी।हालांकि ईरान नें कभी भी भारत को सीधे तौर पे कुछ नही कहा लेकिन फिर भी बैक चैनल वार्ता से लग रहा था कि नई दिल्ली और तेहरान में कुछ नाराजगी है।अब इसी नाराजगी को दूर करने और भारत और ईरान के रिश्तों को नया आयाम देने के लिए अरे विदेश मंत्री एस जयशंकर ईरान के नव निर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से मिलने पहुँचे हैं।भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के अचानक ईरान पहुँचने से पूरी दुनिया आश्चर्यचकित है।दुनियाभर की मीडिया इस खबर को कवर कर रही है।
ईरान भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण
ऐसा चर्चाएं हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ईरान के साथ परमाणु डील कर सकते है या ईरान पर प्रतिबंध हटा सकते हैं।ऐसे में भारत को ईरान के साथ अपने रिश्तों को दोबारा पटरी पर लाना जरूरी है क्योंकि ईरान भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण देश है।इसीलिए एस जयशंकर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत संदेश लेकर ईरान के नए राष्ट्रपति के पास पहुँचे है।बताते चलें कि चीन और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चुनौती देने के लिए ईरान का चाबहार बंदरगाह भारत के लिए बहुत मत्वपूर्ण है साथ ही ईरान भारत को सस्ते दामों पर तेल भी देता है।एस जयशंकर ने अपने बयान में कहा कि नए राष्ट्रपति ने मेरा बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया इसके लिए मैं उनको धन्यवाद देता हूँ।
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