अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों के जाते ही तालिबान ने कई शहरों और कब्ज़ा करना शुरू कर दिया और इसकी सबसे ज्यादा खुशी पाकिस्तान को हो रही है।पाकिस्तान शुरू से ही चाहता है कि अफगानिस्तान में तालिबान का राज हो क्योंकि तालिबान के पाकिस्तान के अच्छे संबंध हैं।लेकिन पाकिस्तान को कौन समझाए कि आतंकी किसी के सगे नही होते और कल जो पाकिस्तान में घटना घटी वो भारत की एक बात को सिद्ध करती है कि मेरे आतंकी और आपके आतंकी कुछ नही होते आतंकवादी सिर्फ और सिर्फ मानवता के दुश्मन होते हैं।
दरअसल पाकिस्तानी taliban जिसे तहरीक ए तालिबान के नाम से भी जाना जाता है उसने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में आतंकी हमले को अंजाम दिया जिसमें पाकिस्तान के 11 सैनिक मारे गए।ऐसा दावा भी किया जा रहा है कि कई पाकिस्तानी सैनिकों को तालिबान ने बंधक बना लिया है।हालांकि पाकिस्तान ने सिर्फ दो सैनिकों की मौत की पुष्टि की है।पाकिस्तान भले कुछ भी कहे लेकिन सत्य यही है कि पाकिस्तान के पाले हुए आतंकी ही आज पाकिस्तान के लिए मुसीबत बने हुए है।
अफगानिस्तान में तालिबान की मदद कर रही पाकिस्तानी सेना व खुफिया एजेंसी आईएसआई
अमेरिकी सैनिक जैसे जैसे अफगानिस्तान छोड़ रहें है वैसे वैसे taliban अफगानिस्तान के राजधानी काबुल को कब्जाने की तरफ बढ़ रहा है और अभी तक कई बड़े शहरों को taliban कब्ज़ा भी चुका है।तालिबान की ताकत में लगातार इजाफा हो रहा है और इन सब में पाकिस्तान की सेना व पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी तालिबान की बढ़ चढ़कर मदद कर रही है।यहां तक कि पाकिस्तान ने taliban की मदद के लिए कई लड़ाकों व आतकंवादियों को भी भेजा है।भले ही अभी तालिबान और पाकिस्तान एक सुर में बोलते हों लेकिन भविष्य में पाकिस्तान को अपनी इस गलती का भी खामयाजा भुगतना पड़ेगा।
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